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Monday, August 20, 2012

रंगमंच ..और समाज,,,,,

धूमिल ने लिखा था - मेरे देश का प्रजातंत्र / मालगोदाम में लटकी बाल्टी की तरह है / जिस पर लिखा होता है आग / और भरा होता है / बालू और पानी / ...


पिछले दिनों भोपाल स्थित भारत भवन में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और मप्र नाट्य विद्यालय के एक नाटक नील डाउन की बोल्ड़नेस को लेकर एक नया बवाल मचा..नाटक की बोल्ड़नेस को लेकर भोपाल में जमकर विरोध हुआ...विरोधियों का कहना है कि नाटक में जिस तरह की वोल्डनेस दिखाई गई है वह समाज के लिए ठीक नहीं हैं..नील डाउन असल में उन तीन महिलाओं की कहानी है जो स्वच्छंद यौन संबधों को जायज मानती हैं...ये महिलाएं स्वच्छंद यौन संबंधों को अपने निजी सुख से जोडती हैंऔर अपने इस यौन सुख के लिए खुलकर चर्चा करती हैं,,,सामजिक ठेकदारों का कहना है कि इस तरह के नाटकों से आम लोगों पर बुरा असर पडेगा,,,,औऱ भारी विरोध के चलते इस पूरे नाटय उत्सव को समय से पहले खत्म करना पडा,,,