Saturday, November 15, 2014

तन बना टकसाल"

वो मासूम अपने घरों से कब गायब हो गये.... उन्हें  खुद ही नहीं पता........ये वो लड़िकयां थी जो कभी बडी नहीं हो पाई .... ये वो लड़कियां हैं जिन्होनें कभी अपना बचपन नहीं देखा........गुड्डे गुड्डियों से खेलने की उम्र में ..लोग कब इनके जिस्म से खेलने लगे ... उन्हें  खुद नहीं पता.....इनके सपनें कभी इनके अपने नहीं हुए....और इनके अपने..... वो तो सपनों की ही बात है.......ऐसा ही होता आया है ..दिन ...महीने...साल ... "तन बना टकसाल"

पिछले कई सालों से देश के साथ साथ प्रदेश में भी लड़कियां लगातार गायब हो रही हैं....मंडला,सिवनी,शिवपुरी,देवास,नीमच,रतलाम,झाबुआ ऐसा कौन सा जिला नहीं है जहां से लडकियां  गायब नहीं हुई है....आंकड़ो की माने तो प्रदेश में हर रोज 30 बच्चे गायब हो रहे जिनका कोई अता पता नहीं चल पाता..... प्रदेश से बड़ी संख्या में लडकियों को बहला-फुसलाकर और अपहरण करके दूसरे राज्यों में बेचा जा रहा है.... या उन्हें जिस्मफरोशी के दलदल में धकेला दिया जाता है.....पिछले सवा दो साल में 18 हजार से ज्यादा लड़कियां लापता हो चुकी हैं...इन दो सालों में प्रदेश में मानव तस्करी, अपहरण और गुमशुदगी के 46 हजार 159 मामले दर्ज किए गए थे.... इनमें से 27 हजार 748 लड़कियां बरामद की जा चुकी  हैं......लेकिन अब भी 20 हजार से ज्यादा मासूम अपनों से दूर कहीं उनका इंतजार कर रहे हैं....देश में अफीम की खेती के लिए कुख्यात मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में साल 2011 में उजागर हुए मानव तस्करी के मामले से साफ हो गया ...... कि पूरे प्रदेश में यह धंधा तेजी के साथ पैर पसार चुका है.... राज्य के लगभग आधे से ज्यादा जिलों में मानव तस्करी में शामिल लोगों ने अपना जाल फैला लिया है..... यही कारण है कि प्रदेश में लगातार नाबालिग और बालिग लड़कियां गायब हो रही हैं....जनवरी 2012 से 10 फरवरी 2014 तक 17 हजार 273 शादीशुदा, 19 हजार 147 अविवाहित और 16 हजार 172 नाबालिग लड़कियों की मानव तस्करी, अपहरण और गुमशुदगी के प्रकरण दर्ज किए गये थे...... इसमें से 19 हजार 142 को खोज भी लिया गया लेकिन अभी भी  11 हजार 556 लोग लापता हैं..... 2013 में एक अप्रैल से 30 जून तक प्रदेश से  19 हजार 773 लड़कियां अब भी गायब हैं...इन लड़कियों में कुछ बाज़ार से गायब हुई तो कुछ राह चलते अपहरण कर ली गई...तो कुछ को बडों शहरों मे काम करने के बहाने से बहला फुसलाकर हमेशा के लिए गायब कर दिया गया......लेकिन ये लड़कियां कहां गई किसी को नहीं पता.....साल दर साल प्रदेश के कई जिलों से लडकियों के गायब होने का ये सिलसिला बदस्तूर जारी है...तमाम कानूनी कार्यवाई के बाद भी जिस्मफरोशी के धंधें में लगे ये लोग इन मासूमों को अपना शिकार बनाते आ रहै.....और लंबे हाथों वाला कानून..... वो तो अंधा है....मानव तस्करी पर पुलिस की उदासीनता के चलते गोरखधंधे में लिप्त लोगों ने प्रदेश के 24 जिलों में नेटवर्क जमा लिया.... जिलों से गायब कई लडकियों का अर्से से कोई पता नहीं चल पाया...अब तो  पुलिस भी मानने लगी है कि ये मानव तस्करी के शिकार हो गए... पुलिस ने 2010-2011 में मानव तस्करी पर जो काम  किया वो चौंकाने वाला था...इस होमवर्क के बाद प्रदेश की पुलिस आकामानों से कड़ी कार्यवाई के निर्देश भी दिए गये2011 में कि मानव तस्करी रोकने के लिए बने प्रकोष्ठ के बाद जब बाछड़ा जाति के डेरों का गुप्त सर्वेक्षण कराया तो उनके सामने चौंकाने वाले तथ्य आए..... इस सर्वेक्षण के दौरान पता चला कि महिला गर्भवती हुई ही नहीं और उसके घर में कुछ माह की बेटी है......और जब  इसी आधार पर दबिश दी गई तो वो लडकियां मिलीं जिनकी खरीदा गया था..... पुलिस इंवेस्टीगेशन में सामने आया कि गरीबी और अशिक्षा का फायदा मानव तस्कर उठा रहे हैं...... वे आदिवासियों की लड़कियों  को रोजगार दिलाने  के नाम पर बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जाते हैं और उनसे बड़े शहरों में वेश्यावृति करवाई जाती है...... पिछले कुछ ही सालों में इन जिस्मफ़रोशी के अड्डों पर 100 से ज्यादा लड़कियों को बेचा गया है...... इंदौर, खरगौन, खंडवा, बडवानी, झाबुआ के अलावा राजस्थान के चित्तौड़, इलाकों से भी कई लड़कियों को लाकर यहां बेचा जाता है....
 पिछले दिनों साल 2008 में प्रदेश के शाजापुर जिले के मक्सी कस्बे में दशहरा उत्सव देखने गए कालबेलिया समाज के चार बच्चों के अपहरण के मामले का सनसनीखेज खुलासा हुआ है..... इन बच्चों में तीन लड़कियां और एक लड़का शामिल था..... अपहर्ताओं ने अपहरण की गई तीनों लड़कियों को वेश्यावृत्ति में धकेल दिया था..... इनमें से बचकर आई एक लड़की ने बताया कि उसे इंजेक्शन लगाकर जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल दिया गया था...अपहरणकर्तों के चंगुल से बचकर आई इस लडकी ने जो दास्तां बंया कि उससे सुनकर लोगों को अपने कानों में भरोसा नहीं हो रहा .......पीडिता से शिवपुरी की  सोनिया नाम की महिला जिस्मफरोशी करवाती थी...उसे समय से पहले जवान दिखने के लिए हारमोन के इंजेक्शन दिए जाते रहे....एक साल दिल दहला देने वाले इस मंजर से गुजरने के बाद उसे धकेल दिया गया जिस्मफरोशी के धंधे पर......मौका पाते ही 18 सितंबर को पीडिया सोनिया के चंगुल से छूटकर घर पहुंची और परिजनों को अपनी आप बीती सुनाई....आखिर कानून और समाज की इन बेहद चुस्त आँखों के नीचे आखिर कैसे ....ये गिरोह अपना काम कर जाता है....आखिर कैसे ....ये जिस्म के सौदागर हर जिस्म को सौदा इतनी आसानी से कर जाते हैं.......जिस्मफरोशी की इन मंड़ियों में लडिकयों को अगवा करके उन्हें दूसरों के सामने परोसने का ये धंधा यूं नहीं चलता...इस पूरे धंधें में एक बडा गिरोह काम करता है.....ठीक किसी जासूसी फिल्म की तर्ज पर....प्रदेश में वेश्यावृति के लिए कुख्यात मंदसौर और नीमच जिले के बांछडा समुदाय के लोग यहां पर लाये जाने वाली हर लडकियों पर कडी निगरानी रखते हैं........यहां खुले आम वेश्यावृत्ति आम बात  है...... लड़कियों  को खरीदने से लेकर बेचने तक का पूरा सफर 5 सालों से भी ज्यादा लंबें समय का होता है.....यहां पर लाई जाने वाली हर लडकी 5 साल तक एक ही कमरे में बंद रखी जाती है....कोई उसे पहचान न सके ......इसलिए उसे .....5 साल तक उसे कमरे से बाहर नहीं जाने दिया जाता .....इस समुदाय के कुछ लोगों पर लडकियों के  अपहरण की जिम्मेदारी होती है ....तो कुछ पर ग्राहक तलाशने की....... इन लड़कियों का सौदा कुछ हजार रुपए में ही होता है........ इन डेरों पर जिन लड़कियों को चुराकर बेचा जाता है  उसमें तीन कडिय़ों वाला एक रैकेट काम करता है....... पहला गिरोह लड़कियों पर नजर रखकर उन्हें नशा देकर चुराता है...... दूसरी कड़ी के बिचौलिए इन्हें बाछड़ा जाति के उन लोगों से मिलाकर सौदा कराते हैं जो इन्हे खरीदते हैं...... और तीसरी कड़ी में खुद बाछड़ा जाति के वो लोग होते है जो इन्हें खरीदकर परवरिश करते हैं, और बड़ा होने पर उन्हे जिस्मफरोशी के धंधे में उतार देते हैं......यातना से भरा ये दौर यूं ही खत्म नहीं हो  जाता .......चुराकर लाई गई मासूम बच्चियां को इससे भी भयानक यातनाओं से गुजारना पडता है.......इन लडकियों को दिया जाता है एक खास तरह है इंजेक्शन.......लगातार साल भर तक इन इंजेक्शन के ड़ोज से ये मासूम सी दिखने वाली बच्चियों 8-9 साल की उम्र में है जवान दिखने लगती है.....8-9 साल की ये बच्चियां कब 20-21 साल की हो जाती हैं ..खुद उन्हें नहीं पता होता.....प्रदेश के हर कोने से लड़कियां गायब हो रही है....हर रोज ,हर घंटे, ...हालात हर साल बिगड़ते जा रहे हैं..... कभी कभार इन गायब हुई कुछ लड़कियों में से कोई लडकी कई सालों बाद बचकर वापिस तो आ जाती है..... लेकिन ये साल उनके लिए किसी नरक से कम नहीं होते......साल दर साल प्रदेश से गायब होती इन लडकियों के आंकडें बढ़ते ही जा रहे हैं.....गायब हई इन लड़कियों का क्या  होता है ..ये किसी को नहीं पता.....जब पता चलता है तो सुनने वालों के पैरों तले ज़मीन ख़िसक जाती है......अपने घर से दलालों के अड़्ड़ों तक पहुंचने में कभी कभी तो इन्हें कई महीनों से कई सालों तक का सफर तय करना पड़ता है....और सफर इतना भयानक होता है जिनकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते.....सबसे पहले जिन खरीदारों को इन्हें बेचा जाता है .....वो इन नाबालिगों को बालिगों सा दिखाने के लिए इन पर कहर ही ढ़ा देते हैं......इन पर बॉडी रिवाइवल इंजेक्शन लगाया जाता है.....मना करने पर इन मासूमो को सिगरेट से लेकर गरम लोहे की सरिया तक से  दागा जाता है....और दर्द सहते सहते टूट जाते हैं इनके सपनें....ये दास्तां महज किसी एक एक या दो लड़कियों की नहीं है.....ये कहानी उन ना जाने कितने मासूमों की है जिनका पता आजतक किसी को नहीं लग पाया......जो ना जाने किन अंधेरी गलियों में अपने किस्मत को कोसती किसी अपने का इंतिजार कर रही हैं....और इनके परिवार वाले अब भी इनकी यादों को अपनी आंखों में समेटे इनके लौट आने का इंतजार कर रहे हैं...

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