भारत में काले धन का भूत बहुत समय से लोगों को
परेशान कर रहा है.... काले धन की बात हो और स्विस बैंक का नाम न आए ऐसा हो ही नहीं
सकता.... आखिर स्विस बैंक को काले धन का सबसे सुरक्षित ठिकाना क्यों माना जाता है?
कैसे किया जाता है स्विस बैंकों में काला धन जमा ...आइए हम बताते
हैं आपको....कि कैसे ये पैसा बोलता है
भारत को वो पैसा जो यहां सुरक्षित नहीं ....वो
स्विस की बर्फीली पहाड़ियों के बीच किसी बैंक के लाकर में पड़ा इठलाता है....वो
पैसा जो भारत में कहीं काम आना चाहिए..वो वहां स्विस बैंकों के एसी कमरों में पडा
इठलाता है......ये वहीं पैसा है जो हमारी जेब से निकलकर टेबिल के नीचे से होते
हुए, उनके हाथों में पहुंचता है.....ये वही पैसा है जो देश के बडे राजनीतिज्ञों से
लेकर बिजनेसमैन लोगो के भष्ट्राचार से पैदा है...ये वही पैसा है जो पैदा तो
भष्ट्राचार की चार दीवारी में होता है लेकिन......वो ..... .वो स्विस की बर्फीली
पहाड़ियों में किसी बैंक की उजली दीवारों के बीच पड़ा इठलाता है.....हां ये वही
काला पैसा है..... जो वहां बर्फ की माफिक उजला और सफेद हो जाता है.....आखिर क्या
होता है ये काला धन..... नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक
फाइनैंस एंड पॉलिसी (NIPFP) के मुताबिक......काला धन वह इनकम होती है जिस पर टैक्स की देनदारी बनती है लेकिन उसकी
जानकारी टैक्स डिपार्टमेंट को नहीं दी जाती है...और सरकार की
नज़रों से बचा ये धन ....भारत से काला धन बनकर ..वहां उजला हो जाता है...भारत
में काले धने का ये जिन्न अचानक ही मुंह बाए सबके सामने नहीं आ गया... भारत में
काले धन सबसे पहले जिक्र विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे ने किया ....अपने
खुलासे में उन्होनें बताया कि स्विस बैंकों में भारत के लोगों का भी काला धन जमा
है...और जल्द ही उनका नाम सर्वाजनिक किया जायेगा.....अंसाजे के 2012 के इस बयान के
बाद कई महीनों के बाद भी काला धन जमा करने वाले उन लोगों के नाम तो सामने नहीं
आए...लेकिन इस खुलासे ने भारतीयों को यह बता दिया कि उनकी गरीबी के हालात प्रकृति
प्रदत्त नहीं है...... इसके जिम्मेदार यहीं देश में कहीं किसी कोने में बैठ व्हाइट
कालर लोगों में से ही हैं..... भारत का कितना
काला धन विदेशों में जमा है..इस बात को लेकर कई आंकडें सामने हैं ...बाबा
रामदेव की माने तो यह धनराशि "1.4 ट्रिलियन" यानी 10 खरब 40 अरब डॉलर के
बराबर है..... बाबा रामदेव की यही तोता रटंत है..... दूसरा अनुमान सीबीआई का है कि
वह 5 खरब डॉलर के बराबर है..तो दूसरी तरफ NIPFP की एक
स्टडी के मुताबिक...1983-84 में 32,000
से 37,000 करोड़ रुपए की ब्लैक मनी थी....यानी कि यह देश की जीडीपी के
19-21 फीसदी के बीच मानी जा सकती है....तो वहीं 2010 में अमेरिका के ग्लोबल
फाइनैंशल इंटीग्रिटी ने अनुमान लगाया था कि 1948 से 2008 के बीच भारत से 462 अरब
डॉलर की रकम बाहर के बैंकों में जमा होने के लिए निकली है......पैसे हैं तो किसी भी बैंक में जमा होगें
ही.....पर आखिर इतना पैसा स्विस बैंकों में ही क्यों जमा होता है.......अंदाजा ही
लगा सकते हैं आप.......कि कितना पैसा ....पैसा नहीं रूपया....जो है तो भारत का
लेकिन जमा विदेशों में हैं.....ख़ासकर ये
काला धन स्विस बैंक में जमा है...आखिर क्या कारण है कि काले धन के इन
बाजीगरों का सबसे पसंदीदा ठिकाना हैं
स्विस बैंक....भारतीय लद्दाख के हिस्से जितना छोटा... दिल्ली की आधी आबादी जितना
बड़ा....स्विट्ज़रलैंड...नन्हा सा ..छोटा सा एक यूरोपीय देश.......लेकिन इस छोटे
देश में पैसा इतना कि गिनने के लिए कर्मचारी कम पड जायें.....इसलिए इस देश का हर
60 वाँ निवासी बैंक कर्मचारी हैं....देश के भीतर कुल एक लाख 35 हजार लोग बैंकों
में काम करता है....... स्विस
बैंकों में अकाउंट खुलवाना इतना आसान नहीं हैं ...यहां अकाउंट खुलवाने वाले को कम
से कम तकरीबन 3 लाख रुपये जमा कराने पड़ते हैं.... 2009 में स्विस बैंकों
में जमा कुल धनराशि 56 खरब स्विस फ्रांक के बराबर थी....भारतीय रूपयों में कहा जाए तो...2011 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद 17 खरब डॉलर के
तीन गुने से भी अधिक .... ताज्जुब तो इस बात का कि इस धनराशि का 55 प्रतिशत हिस्सा
यानि कि 30 खरब फ्रांक विदेशी ग्राहकों की देन था......अकेले बैंकिग सेक्टर से ही
सरकार को 18 प्रतिशत तक कर-राजस्व मिल रहा था......स्विस बैंकों की सबसे बडी ताकत उनकी गोपनीयता
की शर्तें हैं...... यह क़ानून 1934 से लागू है.....उस समय जर्मनी सहित यूरोप के
कई देशों में भयंकर मुद्रास्फीति यानी कि मंहगाई और आर्थिकमंदी के कारण धनवान लोग
अपने पैसे को पड़ोसी देश स्विट्ज़रलैंड की मूल्यस्थिर मुद्रा में बदल कर वहाँ के
बैंकों में जमा करने लगे थे..... हालांकि बैंक गोपनीयता क़ानून हर देश में होता है.....लेकिन
स्विट्ज़रलैंड की विशेषता यह है कि जब तक किसी बैंक खाता धारक को ऐसे वित्तीय
अपराध में लिप्त नहीं ठहराया जा सके, जो स्विट्ज़रलैंड
में भी अपराध है, तब तक पुलिस से लेकर कर राजस्व विभाग,
राष्ट्रीय बैंक और न्यायालय भी किसी बैंक से उसके किसी ग्राहक के
खाते के बारे में जानकारी नहीं माँग सकते.....इतना ही नहीं... बैंक गोपनीयता
क़ानून की धारा 47 के अनुसार .....स्विट्ज़रलैंड के हर बैंक का हर कर्मचारी.....अधिकारी...
बैंकिंग से जुडी संस्थाएँ.... एजेंट.... लेखा-परीक्षक यानी कि ऑडिटर.... और स्वयं
बैंक निगरानी आयोग के सदस्य व कर्मचारी.... भी गोपनीयता बरतने के लिए बाध्य हैं........
और इतने गोपनीय नियमों के बाद अगर आप इस नियम का उल्लंघन करते भी हैं
तो.......इसकी सज़ा भी कम नहीं हैं.....इस गोपनीयता का उल्लंघन एक ऐसा ऑफ़िसियल
क्राइम है..... जिस की विधिवत शिकायत नहीं होने पर भी पुलिस और न्यायिक अधिकारी तुरंत
सक्रिय हो जाते हैं....गोपनीयता क़ानून के लापरवाही भरे उल्लंघन की अदालती सज़ा है
भी कुछ कम नहीं है....इस नियम के उल्लंघन का दंढ है ...ढाई लाख स्विस फ्रांक यानी
कि लगभग ढाई लाख डॉलर और यदि आपने जानबूझ
कर ये नियम तोड़ा हो तो उसकी सज़ा है... तीन साल तक जेल या नुकसान के अनुसार
अर्थदंड.....इतना ही नहीं सज़ा के अलावा बैंक को जो भी नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करने की वह अलग से माँग कर सकता है.....अब सवाल ये है कि किसे दे सकता है बैंक ये जानकारी ......तो
ये भी कोई आसान काम नहीं हैं .......बैंक खातेदार के जीवित न होने पर स्विस बैंक
केवल उसकी संपत्ति के सच्चे वारिसों को ही खाते की स्थिति के बारे में जानकारी दे
सकते हैं...... वे ऐसे पति या पत्नी को भी जानकारी दे सकते हैं, जिसके पास अदालती डिग्री है कि उसे अपने जीवनसाथी के खाते की स्थिति जानने
का अधिकार है....इसके आलावा इन बैंकों से किसी तरह की कोई जानकारी निकलाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हैं.....स्विस बैंक तो काले धन के इन कारोबारियों की
पहली पसंद तो है ही....आईए हम आपको बताते हैं आखिर और कौन से ऐसे देश हैं जहां जमा
होता इन लोगों की ब्लैक मनी....दनिया में और कहां कहां है ब्लैक मनी के नए 'स्वर्ग'...यूं तो स्विस बैंक इन काले धन के कारोबारियों
के बीच पापुलर तो हैं ही.....लेकिन जो स्विस नहीं पहुंच पाते उनके लिए दुनिया के
दूसरे देशों के रास्ते भी खुले हैं ...दुनिया के कुछ और देश भी हैं जो इन्हें वही
सुविधाएं मुहैया करवा रहे हैं जो स्विस बैंकों में हैं..... ऑस्ट्रिया और सिंगापुर
ये दो ऐसे देश हैं जो .. बैंक खातों की गोपनायता के मामले में स्विट्ज़रलैंड के भी
कान काटते हैं..... जानकारों का कहना है कि स्विट्ज़रलैंड जब से अपनी तीखी आलोचना
के कारण कुछ नरम पड़ने लगा है.... वहाँ के बैंक अपने ग्राहकों को अपना पैसा
सिंगापुर में अपनी ही शाखा या किसी दूसरे बैंक में स्थानांतरित करने की सलाह देने
लगे हैं...... फाइनेसियल एडवाइजर कंपनी 'प्राइस
वॉटरहाउस कूपर्स ' की माने तो ... सिंगापुर अगले कुछ सालों
में स्विट्ज़रलैंड से भी आगे निकल जाएगा... अनुमान है कि निजी निवेशक स्विस या
अन्य यूरोपीय बैंकों में जमा अपने धन में से अब तक 5 खराब डॉलर से सिंगापुर में ट्रांसफर कर चुके
हैं.....इन बैंकों में तो कुछ ऐसे सेफ़ भी हैं, जहाँ नोटों
की गड्डी से अधिक सोने, चाँदी और प्लैटिनम जैसी मूल्यान
धातुएँ रखी रहती हैं.......50 अंतरराष्ट्रीय वित्तसेवा कंपनियों के एशियाई
मुख्यालय सिंगापुर में ही हैं... वहाँ वे सारी क़ानूनी सुविधाएँ और सुरक्षाएँ
उपलब्ध हैं, जो विदेशी निवेशक चाहेगा.....निवेशित पूँजी पर
लाभ या धन-संपत्ति के उत्तराधिकारी हस्तांतरण पर कोई कर नहीं लगता..... विदेशियों
की आमदनी चाहे जितनी हो, उन्हें केवल 15 प्रतिशत आयकर देना
पड़ता है....बैंक गोपनीयता इतनी अभेद्य है कि डेटा सीडी तो क्या, कोई जानकारी किसी बैंक से अब तक लीक नहीं हुई है......तो वहीं मारिशस भी
एक ऐसा देश हैं जो भारतीय काले धन कुबेरों के लिए स्वर्ग माना जाता है...यहां बडी
ही आसानी से देश का काला धन खपाया जाता है.........काला धन जमा करने वाले ये लोग
बडी ही आसानी से मॉरिशस में पैसा जमा करके टैक्स में अरबों रुपए की चोरी कर जाते
हैं ...... यहां पैसा जमा करना है भी बहुत आसान... और इसके लिए मददगार साबित होता
है यहां का डबल टैक्सेशन समझौता.... इसके तहत कागजों पर मॉरिशस नागरिक बनकर या
उसकी मदद से कंपनी बनाई जाती है और फिर हवाला के जरिए लाया गया पैसा भारत भेज दिया
जाता है.........ये
तो थी स्विस बैंकों और दूसरे ऐसे बैंकों के बारे जानकारी जहां काला धन जमा होता
है....काले धन के इन जमाखोरों के बीच भारत के भी कुछ लोग हैं...जिनके नामों के
खुलासे को लेकर अन्ना हजारे से लेकर स्वयं भाजपा तक कई आंदोलन कर चुकी
है......लेकिन तमाम दावों के बीच आज तक इन नामों के खुलासे नहीं
पाये हैं......आने वाले समय में इनके नामों के खुलासे की संभावना भी दूर
दूर तक नहीं दिखाई देती........तमाम
दावों के बाद अभी भी ये काला धन और इसे जमा करने वाले बिजनेसमैन के नाम कहीं अंधेरों
में ही है....सरकार लाख दावे करे लेकिन इनके नामों के खुलासे होने में बहुत सारी
दिक्कत आज भी है....एक स्विस बैकों के वो
गोपनीय नियम इनके आडे आ रहे हैं जिन्हें भेद पाना इतना आसान नहीं है..... भारत में
जो लोग विदेशी काले धन को भारत लाने की गुहार लगा रहे हैं,.....वे सीधी-सादी जनता को गुमराह कर रहे हैं.... सबसे पहले तो सरकार से
लेकर सरकार-आलोचकों तक न तो कोई यह जानता है और न आसानी से जान सकता है.... कि किस
देश के किस बैंक में कितने भारतीयों के खाते हैं और उनमें कितना पैसा है......यही
कारण है कि जब जब भी काले धन के खिलाफ कोई कारगर कदम उठाने की बात शुरू होती है....
शेयर बाजार नीचे आता है ....और अर्थव्यवस्था के बिखर जाने के अंदेशे जताए जाने
लगते हैं..... असल में काले धन का मसला उतना सरल नहीं है, जितना
पहली नजर में माना जा रहा है..
तो देखा आपने किस
तरह से देश का पैसा देश से बाहर चला जाता है.....लाख कोशिशों के बाद भी हवाला से
लेकर ब्लैक मनी का ये खेल बदस्तूर जारी है......इन काले धन को लाने केलिए अब देश
को सरकार को संसद में बनाये नियमों की एक बार फिर से समीक्षा करनी होगी और साथ ही
साथ वो नियम भी बनाने होगें जिनसे बाहर देशों में जमा पैसा देश में वापिस आये...
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