Saturday, May 18, 2013

ये कैसा क्रिकेट

आखिर वही हुआ जिसके बारे में हम सब पहले से ही  जानते थे।इंडियन प्रीमियर लीग आखिर इंडियन पाप लीग बन ही गई।14 लोग गिरफ्तार हुए स्पाट फिक्सिंग के मामले में,और ना जाने कितनों पर गाज गिरने वाली है.....इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के कुछ मैचों में स्पॉट फिक्सिंग के सिलसिले में हुई एस श्रीसंत और दो क्रिकेटरों सहित कुछ फिक्सरों की गिरफ्तारी के बाद क्रिकेट की दुनिया का काला सच एक बार फिर सामने आया है।


 हालांकि क्रिकेट में सट्टेबाजी कोई नहीं बात नहीं है पिछल कई सालों से कई मैंच सट्टे की भेंट चढ़ चुके हैं...भारत भी इस काले कारोबार से अछूता नहीं है जानकारों की बात माने तो अकेले भारत में सट्टे का सालाना कारोबार  2,000 करोड़ रुपयों से भी अधिक है। ट्वंटी-20 के आईपीएल तमाशे के शुरू होने के बाद तो लगता है कि पूरा आईपीएल ही  काले धन को वैध करने का एक बड़ा जरिया है। तो वहीं दूसरी तरफ नें सांसद नवजोत सिंह सिद्धू का यह कहना कि  जब इतने घोटालों और घपलों के बाद भी संसद पवित्र है तो स्पॉट फिक्सिंग के बाद आईपीएल को 'इंडियन पाप लीग' कैसे कहा जा सकता है। इस बयान के बाद एक नई बहस शूरू होगी रिश्वत या काली कमाई को जायज़ ठहराने ।यानि जनता या दर्शकों की भावनाओ को किनारे रखकर खेल सिर्फ पैसों के लिए खेला जाये.।इसमें कोई शक नहीं की आईपीएल में देश में पैसों की कमी से जूझ रहें नये प्रतिभावान खिलाड़ियों को मंच दिया है...एक मुकाम दिया है।आज पांच साल से ऊपर के करोंडो बच्चे किसी ना किसी क्रिकेटर को अपना आदर्श मानते हैं और उनका मन उनकी नक़ल करने को लालायित होता है..उनकी तरह बनने का सपना वो रोज देखते हैं ,तब क्या ऐसे मैं खिलाडियों का महज कुछ रूपयों को लेकर खेल की तमाम नैतिकता को परे रख देना चाहिए  ..... किसी को इस बारे में दिशानिर्देश देना उचित नहीं है ,लेकिन खिलाडी देश का प्रतिनिधि होता है और इस नाते उसकी जिम्मेदारी बनती है ,जिससे दूर भागना समाज के लिए ठीक नहीं है ...संभव है कि खिलाडिओं को इतना सोचने की फुर्सत न हो लेकिन उनकी छवि को लेकर सदैव सतर्क रहने वाले परिवार के लोगों को उनकी सामाजिक जिम्मेदारी और नैतिकता का अहसास दिलाना ही चाहिए 

No comments:

Post a Comment