Wednesday, October 8, 2014

भूतों से काम......

मध्य प्रदेश में एक ऐसी पंचायत भी है.... जहां के पुरखे मरने के बाद भी अपने परिजनों के लिए काम करने यमलोग से गांव वापिस आ रहे हैं....उनसे अपने परिवार वालों का दुख और दर्द नहीं देखा जा रहा... और वो गांव के विकास के लिए यहां काम करने यमलोग से लौटकर आ गये हैं....  पिछले कुछ सालों में इस गांव जो भी काम हुआ है उसे भूतों ने रातों रात नहीं बल्कि दिन के उजाले में सबके सामने किया है......
प्रदेश की रायसेन जिलें की चौरास ग्राम पंचायत..... कुछ समय पहले तक यहां पानी की बहुत दिक्कत थी ......गांव में रहने वाले हर शख्स ने पानी लाने की हर संभव कवायद कर डाली...... लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ....ऐसा ही कुछ हाल यहां की सड़को का भी था...जिस पर चलना कहीं से भी किसी नरक यात्रा से कम नहीं था......इस गांव में शौचालय नहीं थे....खेल का मैदान नहीं था.....गांव और गांव के रहवासियों के इस दुख दर्द को यहां के पुरखे मरने के बाद भी नहीं देख पाये .......और वे वापिस लौटकर आना पड़ा.......कई साल पहले इस गांव और दुनिया को छोडकर चले गये ये लोग वापिस आये.......और गांव के लिए तालाब बना दिया.....और इसी तालाब के पानी से यहां की फसलें लहलहा रही हैं........जर्जर हो चुकी सडकें आज चलने फिरने लायक बन गई है.....खेलने के लिए पूरा मैदान तैयार है......और ये काम रातों रात नहीं हुआ......इसे बाकयदा इस गांव में रहने वाले भूतों ने किया......वो भी दिन के उजाले में...लगातार कई दिन तक....... चौरास ऐसे कई  लोग हैं जो कई साल पहले इस गांव और दुनिया को छोडकर जा चुके थे.......लेकिन आज भी ये इस गांव के पोस्ट आफिस पर अपने नाम आने वाली चिट्टियों का इंतजार करते हैं.....गांव के ही बैंक में अपने नाम से खुले सेविंग एकाउंट से रूपये का लेन देन करते हैं......और तो और अपने काम के बदले मिलने वाले पैसों का हिसाब किताब भी यहां सरपंच से करते हैं....... 2011 में आग लगने से मारी जा चुकी लच्छों बाई हों या फिर चांदपुरा की चंदों बाई..........या फिर 2010 में मृत घोषित हो चुके मोहन सिंह.... यमलोग के इन वाशिंदों ने यहां खूब मेहनत की है.....सामुदायिक भवन के निर्माण से लेकर ...मैदान के समतलीकरण तक.....और करें भी क्यों ना.....आखिर वो हैं तो इसी गांव के रहने वाले....मुंशीलाल,श्याम,केदार ये सभी वो लोग हैं जो सरकारी रिकार्ड में मृत घोषित हैं......इनमें से कुछ के परिवारों वालों को तो विधवा पेँशन भी खुद सरकार ही देती है......लेकिन अपने परिवार का दुख दर्द इनसे देखा नहीं गया.......और ये वापिस आ गये......दोबारा इसी गांव की जमीन पर.....अपने घर...अपने घर और परिवार के पास....उन्हीं के बीच.... चौकिंए मत.......ये कहानी किसी भूतिया गांव की नहीं है..... या फिर किसी चुडैल के आतंक के बारे में मत सोचिए......बल्कि ये कारनामा कर दिखाया है ....क्रेंद सरकार की महत्वकांक्षी योजना के कर्ता धर्ताओं ने....सरकारी योजनाओं को पलीता लगाने वाले ये सरकारी नुमाइंदे किस तरह से जनता के पैसों को चूना लगाते हैं ...आपके सामने है......इस गांव में  एक दो नही बल्कि ऐसे कई भूतों ने महात्मा गांधी रोजगार गारंटी में काम किया है..... और बकायदे इन्हें मजदूरी भी मिली है...  इन भूतनुमा मजदूरों ने पथ-वृक्षा रोपण, निर्मल नीर का कुंआ, ग्रेवल मार्ग, बनाया और भी ना जाने कितने काम किये ...और बैंक में खाता खुलवाकर  अपनी  मजदूरी भी निकाल ली.....चौरास पंचायत में इन भूतों और चुडैलों ने मनरेगा के तहत  पिछले --04 सालों में 08 मरे हुए ने काम किया ...और इनके एवज में गांव के सरपंच और सचिव ने इन्हें लाखों रूपयों का भुगतान किया.....यहा के पंचायत सचिव का कहना है कि ...उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है बल्कि जैसा सरपंच ने कहा उन्होनें वैसा ही किया.....   अब आलाम है कि इस भूतिया घोटले के उजागर होने के बाद जिम्मेदारों ने हर सिरे से खुद को अंजान बताया....माननीय कलेक्टर महोदय ने जहां एक तरफ कैमरे के सामने कुछ भी कहने से मना कर दिया तो वहीं दूसरी तरफ यहां के एडीएम साहब का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.....और अब वो जिम्मेदार लोगों के ख़िलाफ कड़ी कार्यवाई करने की बात कह रहे हैं.....हालांकि मनरेगा में धांधली के ये कोई पहला मामला नहीं है...लेकिन एक पारदर्शी योजना और गरीबों के हितों में काम करने का दावा करने वाले इस सरकारी तंत्र के शरीर में चिपके इन रक्तपिपासुओं का ये खेल  गुड़ गवर्नेस के दामन पर कुछ सावलिया निशान जरूर छोड़ता है...



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