Monday, May 4, 2020

दो दिलों के मिलकर रूक जाने और फिर एक-दूसरे के प्रेम में धड़क जाने की दास्तां - अंग्रेजी में कहते हैं।


Angrezi Mein Kehte Hain (2018) - IMDbयह उस हर हिस्से की कहानी है जिसने प्रेम करना चाहा, जो प्रेम करना चाहता है, मगर प्रेम कह नहीं सकता। यह उस झरने की कहानी है जिसने अपना बहाव एक घाट के लिए रोक दिया, और यह सिर्फ कहानी नहीं है, यह वेदना है, तड़प है, रूदन है, यह दो दिलों के मिलकर रूक जाने और फिर एक-दूसरे के प्रेम में धड़क जाने की दास्तां है। इस कहानी को उस हर हिस्से से जोड कर देखना चाहिए, जिसके लिए खुशनुमा सुबह से लेकर बैचेन रात तक का सफ़र तय होता है.. जिसकी जमाई बर्फ के बिना, प्याला अधूरा रह जाता है, जिसे खुश देखने के लिए निगाहें दूर तक, ठहरे हुए पानी गोते खाती है। यह कहानी उस हर आधे हिस्से का पूरा प्यार है, जिसके बिना आपका मुक्वमल होना नामुमकिन है।
प्रेम हम सबने किया है प्रेम हम सबको होता हैलेकिन प्रेम होने से कहने तक के सफर में बहुत कुछ अनकहा भी रह जाता है, प्रेम के इसी अनकहे कि कहानी जिसे सुनने के लिए प्रेम मै होना बहुत ज़रूरी है क्योंकि बिना प्रेम में हुए प्रेम नहीं किया का सकता। प्रेम के अपने अपने मायनें होते हैं, यशवंत बत्रा (संजय मिश्रा) उस दौर की निशानी है जहां प्रेम जिम्मेदारियों में खो जाता है। और किरण बत्रा (एकवली खन्ना) उस दौर की निशानी है जिसके लिए जिम्मेदारियों के बीच प्रेम का सूनापन हमेशा के लिए उसके आसपास खाली बर्तनों सा खटकता रहता है। ऐसा नहीं है यशवंत का प्यार कहीं खो गया है। यह इस दुनिया की रीत है जहां एक मध्यम वर्गीय नौकरी पेशा के जीवन में प्यार का मतलब उसका नौकरी पर जाना और बीबी का खाना बनाने तक ही सिमत जाता है। और इस खाने बनाने से लेकर खाना खाने के बीच जिंदगी कहीं खो जाती है। फिल्म की आधी हकीकत यही है। तो वही दूसरी तरफ फिरोज़ (पंकज त्रिपाठी) जीवन के उस हिस्से कहानी कहते हैं जहां जिस्म के कई पडावों के बाद आत्मा का मोल एक ही रह जाता है। मगर प्यार जिसे लव कहते हैं वो ऐसा ही होता है, प्रेम तो गंगा में पहली डूबकी की तरह है शरीर पर पड़ते है आत्मा तर हो जाती है। कभी कई सालों एक ऐसी ही फिल्म आती है जिसे देख कर आप सोचने लगते हैं कि बस जीवन के उस पार कभी जब आत्माओं का मिलन होगा तो आप अपने प्रियतम को लिखे सारे खत लिए इस पार खडे होंगे और वो आपका इंतजार करते हुए उस पार। प्रेम का असली ताना बाना देखना हो तो यह फिल्म जरूर देखें। संजय मिश्रा जैसे दमदार किरदार के पागलपन के लिए आप उन्हें जीवन भऱ नहीं भूल सकेगें।

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