Tuesday, October 21, 2014

"मौत के सौदागर"

उनके पास हो सकती है आपके नाम की भी सुपारी

उनके चंगुल से बचना है नामुकिन

वो खुले आम लेते हैं मौत की सुपारी

उन्हें कोई रोक नहीं सकता

उनके लिए मौत का खेल बहुत आसान है

उन्हें कोई रोक नहीं सकता........क्योंकि वो हैं..

"मौत के सौदागर"

 इन मौत के सौदगरों की पहुंच हर जगह है..क्या शहर क्या गांव...इनके क्लाइंट में सब शामिल हैं.....क्या अनपढ़ क्या पढ़े लिखे.....इन्हें हर जगह आसानी से ढूंढ़ा जा सकता है.......
.हर रोज वो खुले आम लोगों को अपने दुश्मनों को मार डालने के लिए बुलाते हैं........उनके दरवाजे खुले हैं 24 घंटे, सातों दिन,.....ये मौत के सौदागर हर समय तैयार बैठे हैं....आप कभी भी दे सकते हैं इन्हें मौत की सुपारी.......इनकी पहुंच हर बड़े शहर से लेकर छोटे से गांव तक है......हर जगह फैला है इनका नेटवर्क.....हो सकता है ये आज मौजूद हों आपके शहर या गांव के किसा बडे होटल में.....इनसे हर कोई मिल सकता है......कभी भी ...कहीं भी.....इन्हें ढूंढने के लिए कही नहीं भटकना पड़ता.....ये मिल जाये आपको मोबाइल पर....हर जगह बंटें हुए हैं इनके मोबाइल नं.......यहां तक की आपके घर आने वाले अखबार और टेवीविजन पर भी आते हैं ये मौत के सौदागर.......जी हां हम बात कर रहे हैं...उन तांत्रिक और वशीकरण बाबाओं की जिनके विज्ञापन आप रोज अख़बारों और टेली विजन पर देखते हैं.....छल कपट से भरे ये नकली बाबा अपने लुभावने विज्ञापन से लोगों को ना केवल लूट रहे हैं....बल्कि खुले आम कानून की धज्जियां भी उड़ा रहे हैं..... .ये कहानी ज्यादा पुरानी नहीं हैं.....ये कहानी भोपाल में रहने वाली रचना की है......भोपाल सबसे पॉश माने जाने वाले अरेरा कालोनी में रहने रचना की नई नई शादी हुई थी.....साल भर तक सब ठीक चलता रहा है.....अचानक रचना के पति ने उससे दूरियां बनानी शुरू कर दी.....काफी समझाइश के बाद जब रचना की अपने पति से नहीं बनी तो परेशान रचना की नज़र एक दिन अखबार में एक विज्ञापन पर पड़ी....किसी वशीकरण बाबा के उस विज्ञापन में पति को अपने वश में करने का दावा किया गया था.....रचना को एक उम्मीद की किरण नज़र आई और उसने उस बाबा  को फोन लगा दिया.....और मौत के सौदागर उस बाबा ने रचना को बातों ही बातों में अपने जाल में फंसा लिया......पहले 2500 रूपये फिर पूजा पाठ के नाम पर 1 लाख रूपयें तक की ठगी करने के बाद उस बाबा का नं हमेशा के लिए स्वीच ऑफ हो गया....तो दूसरी कहानी है...अंबाला की ..... अंबाला में रहने वाली उषा अपने बहु बेटे के रोज रोज झगड़ों से परेशान हो गई थी....एक अखबार में दिये विज्ञापन पर एक तांत्रिक बाबा से उसकी बात हुई तो  उसे भी एक उम्मीद नजर आई.....वो  बाबा के बहकावे में इस कदर अंधी हो गई कि उसने अपना गला ही कटवा डाला..... घर में रोज-रोज हो रहे बहू-बेटे के झगड़े को निपटाने के लिए वह एक तांत्रिक के दरबार में पहुँच गई..... तांत्रिक बाबा ने पूजा के आखिरी दौर में उसके गले का खून माँग लिया.......तांत्रिक के तंत्र-मंत्र में अंधी हो चुकी यह महिला अपने गले का खून देने के लिए तैयार हो गई........और तांत्रिक ने आव देखा ना ताव काट डाला उषा का गला....इतना ही नहीं उषा के साथ बेटी आरती ने जब अपनी माँ की मौत देखकर भागने की कोशिश की तो उसे भी सिरफिरे तांत्रिक ने पकड़कर मौत के घाट उतार डाला.......और तंत्र-मंत्र की शरण में आई ये उषा और उसकी बेटी को इसकी कीमत जान देकर चुकानी पडी....पहली बार काल करने में लगभग हर पंडित,बाबा, या तांत्रिकनुमा ये लोग...10 मिनट बाद काल लगाने को कहते हैं......दूसरी और तीसरी बार काल लगाने पर इन्हीं यकीन हो जाता है...कि सामने वाला सच में परेशान है ....और फिर शुरू होता है इनका खेल...जैसे ही हमने इन्हें अपनी झूठी समस्या बताई....बस ..फिर क्या...........किसी ने कहा कि काला जादू है तो कोई कहने लगा कि 18 दिनों में विशेष पूजा के बाद मन पसंद लडकी से शादी से लेकर दुमश्न तक का खात्मा ये कर देगें..गड़ा धन मिलने ,वशीकरण,व्यापार में हानि,करोडों की लाटरी का नं, पति को वश में करें ये कुछ ऐसे ही विज्ञापन हैं जो रह रोज आपको अख़बारों और टेलीविजन पर आसानी से मिल जायेगें.......हालांकि इन अख़बारों और टेलीविजन में इनके लिए चेतावनी भी दी जाती है...लेकिन फिर  जागरूता की कमी और जल्द से जल्द अमीर बनने की चाहत और अंधविश्वासों के चलते इन मौत के सौदागरों का धंधा रोज ही फल फूल रहा है...

  


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