Tuesday, August 15, 2017

अयोध्या किसकी....

                                           







Image result for राम मंदिर अयोध्या फोटो
  देशभर की संवेदनाएं से जुडा अयोध्या उर्फ श्रीराम जन्म भूमि उर्फ बाबरी मस्जिद.....अब कुछ और महीनों  के लिए टल गया।500 सालों से चर्चित तथा 1850 से चले आ रहे देश के इस सबसे बडे विवादित फैसले पर सबकी नज़र टिकी हुई है.....।बडी लंबी जद्दोजहद के बाद अदालत ने इस बार इस विवादित मामले पर फैसला देने की ठानी है....।अदालत को ना सिर्फ इस मामले पर फैसला देना है बल्कि तकरीबन 150 साल पहले अंग्रेजों1885-86में दिये फैसले पर विचार करेगी...500 साल पहले 1528 में अयोध्या में एक मस्जिद बनी लोगों का मानना है कि इस जगह पर श्री राम का जन्म हुआ था....इस मस्जिद को बाबर ने यहां बनवाया था....मस्जिद के निर्माण के 300 सालों बाद पहली बार इस जगह में 1853 में सांप्रदायिक दंगे हुए ......।तनाव के हाताल देखते हुए ब्रिटिश शासन ने 1859 मे इस जगह पर बाड लगा दी और भीतरी हिस्से पर में हिंदुओ को पूजा करने और बाहरी हिस्से में मुसलमानों को नमाज अदा की इजाजत दे दी...।1949 में इस जगह पर भगवान राम की मूर्तिया पाई गयी और विवाद बढने लगा जिस पर सरकार ने तुरंत कार्यवाई करते हुए विवादित स्थल पर ताला लगा दिया......।लंबे समय तक यह मुद्दा लोगों के दिलों में बैठा रहा और 6 दिसंबर 1992 को कारसेवको द्वारा  मस्जिद को गिरा दिया गया ।

अयोध्या इतिहास के पन्नों पर.....
बाहदुर शाह आलमगीर की पौत्री ने 17 -18 शताब्दी के मध्य एक किताब सफीहा-ए-चलह लिखी थी इस किताब  के जानकार मिर्जा जान के मुताबिक ....."मथुरा,बनारस औऱ अवध के काफिरों के इबादतगाह जिन्हे वे गुनहगार और काफिर कन्हैया की पैदाइगाह,सीता की रसोई और हनुमान की यादगार मानते हैं....इस्लाम की तकात के आगे यह सब नेस्तेनाबूद कर दिय गए और इन सब मुकामों पर मस्जिदें तामीर करवा दी गई है....।" के रूप में बताया है......तो वहीं हदीका-ए-शहदा के मुताबिक 1855 में वाजिद अली शाह के जमाने में हनुमान गढी को हिंदुओं  के कब्जे से वापिस लेने के लिए अमीर अली असेठनी के नेतृत्व में किये गये संघर्ष का विवरण मिलता है....।इसी किताब के अध्याय 9 में इस जगह को राम के वालिद की राजधानी बताया गया है...।जहां पर एक बड़ा मंदिर होना बताया गया है।इसी जगह पर सीता की रसोई जिसे आज भी सीता पाक के नाम से जाना जाता है का भी जिक्र है...।
विवाद की जड क्या......
हिंदुओं का मानना है कि इस जगह पर भगवान राम  का जन्म हुआ था....जिसे साबित करने के लिए विश्व हिंदु परिषद् ने 1990 में इतिहासकारों एवं पुरात्तववेत्ताओ के लेखों के साथ ही कई तरह के आकंडे और नक्शों के साथ रिकार्ड भी पेश किया.....।तो मुस्लिम पक्षकारों का कहना है  1528 से लेकर 1885 तक के आंकडों के अनुसार यहां पर मुस्लिमों का हकहै। विवाद के शरूआत में तो मुद्दा केवल उन मूर्तियों का था जो मस्जिद के आंगन में पहले से ही रखीथी...जिन्हे दोबारा वहां पर स्थापित किया जाये।  जैसे जैसे विवाद बढता गया मंदिर और मस्जिद के दायरे भी बढते गये.....शरूआत में इस मुकदमें कुल 23 प्लाट शामिल थे जिनका रकबा कम था....लेकिन 1993 के बाद इस विवाद को हल करने के लिए मंदिर मस्जिद दोनो को बनवाने केलिए मस्जिद समेत 70 एकड जमीन अधिग्रहीत कर ली गई है।
अब तक के अदालती फैसले....
अब तक अदालत से आये फैसलों मे ंसबसे पहले1950 में फैजाबाद कोर्ट ने रामलला की मूर्तियां हटाने अथवा पूजा में हस्तक्षेप पर रोक लगा दी।मंहत रघुवरदास ने जन्मभूमि पर एक चतुबरे के निर्माण की मांग की थी.... जिसे फैजाबाद अदालत ने खारिज कर दिया था।1955 में पूजा स्थल में ताला लगा दिया ....औऱ पुनः1986 को अदालत ने ताला खोलने के आदेश दिये।1994 मे  सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपनी राय  देने से इंनकार कर दिया क्या वहां कोई मंदिर तोडकर मस्जिद बनाई गईथी। और फिर मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट को सौप दिया गया।

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